ज्ञान का घमंड कभी नहीं करना चाहिए

एंकर दिगंबर जैन मंदिर जैन मुनि उदार सागर महाराज के प्रवचन फोटो 05 दमोह। कार्यक्रम में उपस्थित श्रावक। दमोह। नईदुनिया प्रतिनिधि पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर प्रवचनों का आयोजन किया जा रहा है। आचार्य उदार सागर महाराज ने कहा कि हमारे आचार्यों ने धर्म ग्रंथों में मद आठ प्रकार के बताए हैं। ज्ञान, पूजा, कुल, जाति, तप, बल, रिद्घि, रूप आदि का कभी घमंड नहीं करना चाहिए 


पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर प्रवचनों का आयोजन किया जा रहा है। आचार्य उदार सागर महाराज ने कहा कि हमारे आचार्यों ने धर्म ग्रंथों में मद आठ प्रकार के बताए हैं। ज्ञान, पूजा, कुल, जाति, तप, बल, रिद्घि, रूप आदि का कभी घमंड नहीं करना चाहिए। यह आठ मद व्यक्ति के मोक्ष मार्ग में सबसे बड़े बाधक हैं। इसलिए इनसे हमेशा बच कर रहना चाहिए। आचार्य श्री के संघ में मुनि उपशांत सागर और छुल्लिका माता का यहां पर वर्षा कालीन योग 32 वा मंगल चातुर्मास चल रहा है।


आचार्य उदार सागर ने कहा कि कभी भी व्यक्ति को अपने ज्ञान पर घमंड नहीं करना चाहिए। ना जाने किस दिन ऐसी कौन सी घटना हो जाए कि आप अपनी सुध बुध खो बैठे और आपका ज्ञान रखा का रखा रह जाए। अंतिम समय में णमोकार मंत्र को भी याद नहीं रख पाए। उन्होंने एक पंडित की कथा सुनाते हुए कहा कि पंडित जी को अपने ज्ञान का बहुत घमंड था। बनारस से अपने गांव लौटते समय रास्ते में दी पार करनी थी। नाव में जैसे ही वह सवार हुए उन्होंने नाविक की परीक्षा लेना शुरू कर दी। उसके पढ़े-लिखे न होने पर उन्होंने उसे गवार आदि कहते हुए यह तक कह दिया तुम्हारा आधा जीवन तो पानी में चला गया। इसी दौरान नदी में तेज लहर उठने लगी और नाव मझधार में फसती नजर आई। जिस पर नाविक ने पंडित से पूछा आप तैरकर जानते हैं तो उन्होंने मना कर दिया। जिससे नाविक ने कहा कि पंडित जी मेरा तो आधा जीवन ही पानी में गया था अब आपका पूरा जीवन पानी में जाने वाला है। पूजा मद का उदाहरण देते हुए कहा कि कभी भी मान प्रतिष्ठा का घमंड नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह मान प्रतिष्ठा हमें अपने पिछले जन्म के कर्म और वर्तमान की पद की प्रतिष्ठा के अनुरूप मिलती है। यह कब चली जाए कहा नहीं जा सकता। आप जब तक बड़े पद पर हैं तब तक लोग आप को नमस्कार करते हैं, लेकिन जिस दिन यह पद आपके पास नहीं रहता आपकी प्रतिष्ठा में भी कमी आती जाती है। इसके साथ ही उन्होंने और भी प्रासंगिक बाते बताईं।


दमोह। बूंदाबहू मंदिर में भागवतकथा का आयोजन चल रहा है। कथाव्यास रवि शास्त्री के द्वारा भक्तों को कथा सुनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि आज के युवाओं को भगवान श्रीकृष्ण से सीख लेनी चाहिए। क्योंकि उनकी सिखाई गई बातें युवाओं के लिए इस युग में भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं जितनी अर्जुन के लिए रहीं। कृष्ण हर मोर्चे पर क्रांतिकारी विचारों के धनी रहे हैं। उनका सबसे बड़ा आकर्षण यह है कि वह किसी बंधी-बंधाई लीक पर नहीं चले। मौके की जरूरत के हिसाब से उन्होंने अपनी भूमिका बदली और अर्जुन के सारथी तक बने। भगवान कृष्ण ने पांडवों का साथ हर मुश्किल वक्त में देकर यह साबित कर दिया था कि दोस्त वही अच्छे होते हैं जो कठिन से कठिन परिस्थिति में आपका साथ देते हैं। दोस्ती में शतोर् के लिए कोई जगह नहीं है। इसलिए आपको भी ऐंसे ही दोस्त अपने आसपास रखने चाहिए जो हर मुश्किल परिस्थिति में आपका साहस बंधा सकें। कथा को सुनने काफी संख्या में श्रद्घालुओं की उपस्थिति रही।